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All in a moment, years ago,
The boy I was became a man:
Suddenly my life began!
I saw the world before me— So
That ploughman by his horses stands
Sweating on the first hill's brow,
Having left the riverlands
Furrowed in the vale below,
And sees a mountainside to plough,
Barren rock to blunt his share,
Thunder hanging in the air,
And the black peak above him, bare,
Waiting now.
—Let him plough it if he dare! | Winning entries could not be determined in this language pair.There were 18 entries submitted in this pair during the submission phase. Not enough votes were submitted by peers for a winning entry to be determined.
Competition in this pair is now closed. | आरंभ वर्षों पहले, बस एक पल में, मैं बच्चे से बड़ा हो गया: अचानक मेरा जीवन शुरू हो गया! मेरी दुनिया मेरी आँखों के सामने थी - देखा कि हलवाहा खड़ा है अपने घोड़ों के साथ पहली पहाड़ी के शिखर पर पसीने में नहाया, नीचे घाटी में नदी के पास ज़मीन पर हल चलाकर वह छोड़ आया है, और अब देख रहा है पहाड़ी ज़मीन की ओर हल चलाने के लिए. उसके इरादे कुंद करने को बंजर चट्टान, हवा में तैरता हुआ गर्जन और उसके ऊपर काली नंगी चोटी उसके इंतज़ार में हैं हिम्मत है उसमें, तो जोत के दिखाए! | Entry #30100 — Discuss 0 — Variant: Not specifiednone
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Entry | 3.35 | 3.44 (9 ratings) | 3.25 (8 ratings) |
| सब घटित हुआ एक क्षण में , वर्षों पहले, बालक था जो मैं , हो गया युवक: अकस्मात् , मेरा जीवन चल दिया हुड़क ! देखा मैंने संसार खड़ा अपने समक्ष - अतएव हलवाहा वह अपने घोड़ों संग है उपस्थित पहली पहाड़ी के शिखर पर स्वेद सिक्त , छोड़ चुका है जो धरा, नदियों से तृप्त नीचे वादियों में रेखांकित, और देखता है पथरीली पहाड़ी जोतने को उद्यत बंजर चट्टान कुंद करती उसका फल हवा शिथिल है मेघाच्छादित ऊपर दिखती है काली चोटी नग्न, प्रतीक्षारत, इस क्षण । - जोत लेने दो उसे यह, यदि है वह व्यग्र । | Entry #30158 — Discuss 0 — Variant: Not specifiednone
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Entry | 3.13 | 3.25 (8 ratings) | 3.00 (7 ratings) |
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स्वेद सिक्त | Good term selection Delectable 'word play' | Sanjeev Dhadwal No agrees/disagrees | |
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| शुरुआत वर्षों पहले मैं बालक था, और आज यकायक एक पुरुष बन गया: अचानक मेरा जीवन शुरू हुआ! मैंने अपने सामने दुनिया को देखा— वह हलवाहा अपने घोड़े के साथ पहली पहाड़ी के किनारे पसीने में तरबतर खड़ा, नीचे घाटी में नदी के तट को जोता हुआ छोड़ कर, हल जोतने के लिए पहाड़ी की ढाल, उसके हल के फल को कुंठित कर देने वाली बंजर चट्टान, आसमान में छाये मेघों, और अपने ऊपर प्रतीक्षा करती हुई पर्वत की नग्न काली चोटी को देख रहा है। -अगर वह हिम्मत करे तो उसे इस पर हल जोतने दो! | Entry #29879 — Discuss 0 — Variant: Not specifiednone
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Entry | 3.11 | 3.22 (9 ratings) | 3.00 (9 ratings) |
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| शुरुआत एक ही पल में, सालों पहले ऐसा हुआ, मैं जो अबोध था, सो सुबोध हुआ: यकायक, ज़िंदगी का चक्का चलना शुरू हुआ! सामने की दुनिया दिखाई दी— कुछ ऐसे हलवाहा हो तैयार खड़ा, अपने बैलों संग जैसे जिसने राह के पहले रोड़े पर पसीना बहाया, सोना उगलती ज़मीन को जो तज आया, भौंएँ ताने नीचे घाटी में झाँके, जोतने के लिए पहाड़ी की ढलान को भाँपे, फ़सल के लिए पथरीली ज़मीन को आँके, आसमान में बिजली सर्प सी लहराए, बादलों के काले टीले, खड़े, सीना फैलाए, मुँह बाए, अब इंतज़ार में पलकें बिछाए। —गर हौसला है तो, उनके सीने पर हल चलाए! | Entry #30482 — Discuss 0 — Variant: Indianindihin
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अबोध था, सो सुबोध हुआ | Good term selection shows maturity | Deepti Prakash No agrees/disagrees | |
| “शुरुआत” वर्षों पहले, एक ही क्षण में, मैं एक लड़के से आदमी बन गया: अचानक से मेरे जीवन की शुरुआत हो गई! मैंने आगे आने वाली दुनिया को देखा – इसलिए कि हल जोतने वाला अपने घोड़ों के पास खड़ा है पहली पहाड़ी के शिखर पर पसीने से नहाता हुआ, नदियों और ज़मीनों को छोड़ने के बाद नीचे की वादी में हल जोतने से बनी हुई लकीरें, और पहाड़ के किनारे एक हल जोतने वाली जगह देखता है, एक बंजर चट्टान से हल के लोहे को कुंड करने के लिए, हवा में कड़कड़ाते हुये, और उसके ऊपर पहाड़ की चोटी, अरक्षित अब इंतज़ार कर रही है। - उसे इस पर हल चलाने दो, यदि उसमें साहस है तो ! | Entry #29714 — Discuss 0 — Variant: Indianindihin
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Entry | 2.69 | 2.50 (8 ratings) | 2.88 (8 ratings) |
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| शुरुआत कुछ ही पलों में, कुछ साल पहले, मैं बच्चे से आदमी बन गया था ; अचानक मेरा जीवन शुरू हुआ! मैंने पहली दुनिया देखी - एक हलवाहा अपने घोड़ों के बगल में खड़ा था, सपाट तल को छोड़ शिकन की घाटी में फंसी, उसकी पहाड़ी सी भौंहों से पसीना बह रहा था, और जोताई के लिए तैयार पहाड़ी भूमि को देखा, बंजर पत्थर उसकी मेहनत को कुंद करने के लिए, हवा में कड़कती बिजली, और उसके ऊपर नग्न काली चोटी, उसका इंतजार कर रही थी। - उसे जोताई करने दो अगर उसमें हिम्मत है ! | Entry #30316 — Discuss 0 — Variant: Not specifiednone
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फंसी | Grammar errors As the reference is to a 'हलवाहा' the gender-appropriate word is फँसा | Sanjeev Dhadwal No agrees/disagrees | |
| शुरुआत सालों पहले, एक क्षण ऐसा आया जब मैंने लड़कपन से गुज़रकर, एक आदमी के शुरुआती जीवन का अनुभव पाया, मैंने अपने सामने एक ऐसी दुनिया को देखा- जहाँ किसान अपने घोड़ों के साथ पहाड़ियों के पहले शिखर पर पसीने में लथपथ होकर, घाटियों की नदियों से सटी जमीन पर हल चलाता ही जाता है, और वो देखता कि पहड़ियों की तरफ, कितनी ही निर्जन चट्टानें अभी उसके इंतज़ार में हैं, हवाओं में बिजली की गड़गड़ाहट सी है, और उसके बिल्कुल ऊपर वाली चोटी, अकेली, अब उसके इंतज़ार में है। -चलाने दो हल उसे जब तक उसमें साहस है! | Entry #29203 — Discuss 0 — Variant: Indianindihin
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Entry | 2.64 | 2.71 (7 ratings) | 2.57 (7 ratings) |
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हल चलाता ही जाता है | Mistranslations The translation conveys that, 'ploughman looked at the hill while ploughing'. Whereas, the source mentions, 'ploughman standing on the hill after having let the riverbed'. | Sanjeev Dhadwal No agrees/disagrees | |
| आरम्भ सालों पहले जैसे एक पल में मैं जो एक लड़का था, एक आदमी बन गया अचानक मेरा जीवन शुरू हुआ! मैंने अपने सामने दुनिया देखी- कि एक हल चलाने वाला अपने घोड़ों के साथ खड़ा है उसके माथे के सबसे ऊपरी भाग से पसीना बह रहा है, नदी नालों के छोड़कर नीचे की घाटी में फंसा, हल चलाने के लिए एक पहाड़ी को देखता है, अपने हिस्से को कुंद करने के लिए बंजर चट्टानों को देखता है, हवा में लटकी बिजली को देखता है, और अपने ऊपर उस काली नंगी चोटी को इंतज़ार करता देखता हैI - यदि उसमें हिम्मत है तो उसे हल जोतने दिया जाए! | Entry #30397 — Discuss 0 — Variant: Indianindihin
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Entry | 2.51 | 2.63 (8 ratings) | 2.38 (8 ratings) |
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+1 उसके माथे के सबसे ऊपरी भाग से | Syntax "सबसे ऊपरी भाग से" is superfluous and non-appropriate usage. | Sanjeev Dhadwal | |
| सफ़र की शुरुआत कुछ वर्ष पहले, अचानक हुआ कुछ ऐसा मैं एक बच्चा, बड़ा बन गया: एक ही क्षण में, मेरे जीवन का एक नया अध्याय शुरू हो गया! मेरा हुआ साक्षात्कार पहली बार दुनियादारी से, देखता हूँ एक हलवाहा अपने घोड़ों के साथ है पसीने से तरबतर, खड़ा पहाड़ी की चोटी पर नदियों की उपजाऊ भूमि, आयी नहीं रास उसे लक्ष्य था उसका, पहाड़ को हल से जोतना और वह चुनता है एक चट्टान को, हल चलाने के लिए चुनता है दुष्कर कार्य, अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए हवा भी न जाने कहीं खो सी गयी है और उससे ऊपर, काली पहाड़ी की चोटी अब बस प्रतीक्षारत है। - यदि उसमें हिम्मत है, तो वह लक्ष्य पर आगे बढ़े! | Entry #30193 — Discuss 0 — Variant: Shuddhashudhin
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Entry | 2.50 | 2.67 (6 ratings) | 2.33 (6 ratings) |
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+1 चुनता है दुष्कर कार्य, अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए | Flows well Fluid | Sanjeev Dhadwal | |
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-1 +1 1 हवा भी न जाने कहीं खो सी गयी है | Mistranslations The source mentions both thunder and air; and not the absence of wind. | Sanjeev Dhadwal | |
| शुरुआत कई बरस पहले, बस कुछ ही क्षणों में एक तरुण वयस्क बन गया: अचानक मेरी ज़िंदगी की शुरुआत हु़ई! पुरी दुनियाँ मेरी आँखों के सामने थी, तो फिर वो किसान, हल चलाने वाला अपने घोड़े के साथ पसीना बहाता उन पहाड़ी चोटियों पर, नदियों की खेत क्यारियाँ नीचे छूट चुके देखा हल चलाना है अब पहाड़ी चट्टानों पर, जो खड़ी हैं उसकी धार कुंद करने को, तुफानी हवा का ज़ोर है, और अब वो काली चोटी खड़ी चाहती है आओ खेती करो अगर हिम्मत है तो! | Entry #30343 — Discuss 0 — Variant: Indianindihin
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Entry | 2.29 | 2.29 (7 ratings) | 2.29 (7 ratings) |
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| Good term selection The word choice reflect the intended source essence. Where the poet might be referring to 'gaining mental maturity'; rather than age. | Sanjeev Dhadwal | |
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| शुरूआत वर्षों पहले, सब एक क्षण में, मैं एक लड़के से आदमी बन गया था: अचानक मेरा जीवन शुरू हुआ! मैंने मेरे सामने दुनिया देेेेेखी- इसलिए वह हलवाला आदमी अपने घोड़ोंं केे साथ खड़ा है पहली पहाड़ी के माथे पर पसीने से तर, नदी नालोंं को छोड़कर नीचे घाटी में जोतकर, और हल चलानेे के लिए एक पहाड़ी ढाल देखता है, अपने हिस्से की बंजर चट्टान को कुंद करने के लिए, बिजली हवा में झूल रही है, और काला शिखर उसके ऊपर, स्पष्ट, - उसे उसे जोतने दो अगर वह अगर वह हिम्मत करता है! | Entry #30007 — Discuss 0 — Variant: Indianindihin
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Entry | 2.25 | 2.17 (6 ratings) | 2.33 (6 ratings) |
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बिजली हवा में झूल रही है, | Mistranslations | Deepti Prakash No agrees/disagrees | |
| शुरुआत बरसों पहले, सब कुछ जैसे एक ही पल में, युवक था जो मैं एक आदमी बन गया: अचानक ही जैसे मेरा जीवन शुरू हुआ! मैंने मेरे सामने दुनिया देखी- वह किसान अपने घोड़े के साथ खड़ा है, पहली पहाड़ी के भौंह पर पसीना बहाते, नदी-नालों को छोड़ कर, नीचे की जोति हुई घाटी में, और हल चलाने के लिए एक पहाड़ी को देखता है, अपने हल को घिसने के लिए बंजर चट्टान, हवा में लटक रहा गर्जन, और उसके ऊपर काली चोटी, अनावृत, अब इंतजार है। -यदि उसकी हिम्मत हो तो हल चलायें! | Entry #30278 — Discuss 0 — Variant: Not specifiednone
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Entry | 2.25 | 2.33 (6 ratings) | 2.17 (6 ratings) |
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सब कुछ जैसे एक ही पल में | Other Sentence seems incomplete. Either it shall be "सब कुछ जैसे एक ही पल में हुआ", Or, "जैसे एक ही पल में" | Sanjeev Dhadwal No agrees/disagrees | |
मैंने मेरे सामने | Grammar errors मैंने अपने सामने | Deepti Prakash No agrees/disagrees | |
| एक शुरुवात अचानक ही, वर्षों पहले, मैं जो एक लड़का था आदमी बन गया था: अचानक ही मेरे जीवन की शुरूआत हो गई थी! मुझे अपने सामने दुनिया ऐसी दिखी- मानो कोई हलवाहा अपने घोड़ों को खड़ा करके अपनी ऊँची भौंह पर छलक आया पसीना पोंछ रहा हो, जिसे रिवरलैंड्स को छोड़ना पड़ा है नीचे घाटी में जुती हुई, और जो अपना हल चलाने के लिए एक पहाड़ी को देखता है, उसकी बंजर चट्टानों को जो उसके फाल को कुंद कर देंगे, हवा में लटक रहा एक तूफ़ान, और उसके ऊपर काली चोटी, बिलकुल नंगी, अब उसे इंतजार है। -यदि उसमें हिम्मत है तो उसे इसमें हल चलाने दें! | Entry #30358 — Discuss 0 — Variant: Kharibolikharhin
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Entry | 2.22 | 2.14 (7 ratings) | 2.29 (7 ratings) |
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रिवरलैंड्स | Inconsistencies Unwarranted transliteration. | Sanjeev Dhadwal No agrees/disagrees | |
| शुरुआत वर्षों पहले, एक पल में मैं बालक से जवान हो गया: एकाएक मेरे जीवन जीवन का शुरूआत हो गया! और जो दुनिया मेरे सामने थी उसमें, पहली पहाड़ी के माथे पर पसीने से तर हलवाहा अपने घोड़े के साथ खड़ा था, नदी को छोड़कर, नीचे वादी को जोत चुका था, और बिना जुती पहाड़ी को, उसके हल के फाल को भोथरा बनाने वाले बंजर चट्हटानों को, हवा में लटकती बिजली, और अपने ऊपर जोतने की प्रतीक्षा करती नंगी, काली चोटी सब को देख रहा था, -ये सब उसको चुनौती दे रहे थे कि जो जोतने का साहस हो तो जोत लो, अपने वश में कर लो! | Entry #30457 — Discuss 0 — Variant: Indianindihin
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Entry | 2.10 | 2.20 (5 ratings) | 2.00 (5 ratings) |
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| शुरुआत वर्षों पहले, जो मैं एक बच्चा था, वह जैसे क्षण भर में बड़ा हो गया: अचानक एक नया जीवन शुरू हो गया! इस प्रकार- मुझे अपने आगे का संसार दिखा पहली पहाड़ी की तराई में अपने अस्तबल के पास खड़े होकर पसीने से लथपथ उस हलवाहा ने कछार छोड़कर नीचे की घाटी में जुताई किया. और अब जोतने के लिये पहाड़ी दिखाई दी, तथा उसके हिस्से में बंजर चट्टान की रुकावट आई, जिससे उसके आँखों के सामने बिजली कौंध रही थी और, ऊपर पहाड़ की काली चोटी पर केवल अंधकार, उसकी प्रतीक्षा कर रहा था. -अब अगर उसमे साहस हो तो उसे जोते! | Entry #30413 — Discuss 0 — Variant: Indianindihin
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Entry | 2.07 | 2.14 (7 ratings) | 2.00 (7 ratings) |
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| Inconsistencies Additional word अस्तबल added; which doesn't add anything to the meaning. | Sanjeev Dhadwal | |
| शुरुआत वर्षों पहले, सब एक क्षण में बालक जो अब मैं एक पुरुष बन चुका था, बस मेरा जीवन शुरू ही हुआ था, मैंने संसार स्वयं के सामने देखा था, इसलिए वह किसान बैलों के संग खड़ा था, पसीने से तरबतर वह पहाड़ के छोर पर खड़ा था, बाईं और नदीय मैदान से उपजाऊ डेल्टा है, पर्वतीय क्षेत्र को उपजाऊ बनाने की आस है उसे, बंजर चट्टान से अपने हिस्से की आस लगाए बैठा है, हवाओं में तूफानी मंजर के संकेत हैं, मुसीबत उसका इंतजार कर रही है बेसब्री से, - उसमें हिम्मत है तो उसको सामना करने दें | Entry #29276 — Discuss 0 — Variant: Indianindihin
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Entry | 2.00 | 2.00 (6 ratings) | 2.00 (6 ratings) |
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बाईं और नदीय मैदान | Mistranslations Left translated in the sense of direction; whereas the source indicates 'leaving'. | Sanjeev Dhadwal No agrees/disagrees | |
| ...शुरुआत सालों पहले, एक ही पल में एक लड़के से मैं आदमी बना था: अचानक जैसे मेरा जीवन हुआ था! मैंने मुझसे पहले की दुनिया देखी- तो घोड़ों से जुते हल के साथ वह खड़ा था, पहली पहाड़ी पर ही भौहों तक पसीना था, नदियों के पास की जमीन छोड़कर, नीचे घाटी में हल चला रहा था, और पहाड़ी को देखते हल चला रहा था, अपने हिस्से की बंजर जमीन पाने को, हवा में गड़गड़ाहट थी, काली चोटी ऊपर थी बंजर-सी, अब सिर्फ इंतजार.. -यदि है हिम्मत तो उस पर भी हल चलाएं! | Entry #30371 — Discuss 0 — Variant: Indianindihin
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Entry | 1.92 | 2.17 (6 ratings) | 1.67 (6 ratings) |
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मुझसे पहले की | Mistranslations The word 'before' translated in the sense of 'time' and not in sense of 'infant'. | Sanjeev Dhadwal No agrees/disagrees | |
और पहाड़ी को देखते हल चला रहा था, | Mistranslations | Deepti Prakash No agrees/disagrees | |
| शुरुवात सब कुछ एक ही क्षण में, सालों पहले, मैं, जो एक लड़का था, आदमी बन गया: अचानक ही मेरी जिंदगी शुरू हुई ! मैंने मुझसे पहले की दुनिया देखी—तो वह हलवाला जो अपने घोड़ों के साथ खड़ा है अपने पहले पर्वत के शिखर पर पसीना बहा रहा है, उपजाऊ नदी घाटी को छोड़कर जिसका नीचे घाटी में खाँचा खिंचा हुआ है, और वह हल चलाने के लिए एक पहाड़ी को देखता है, एक बंजर चट्टान पर अपने हिस्से का मंदा काम करने के लिए, हवा में लटका थंडर, और उसके ऊपर वो काली चोंटी, नंगी, अब इंतजार करती हुई। —उसे उसको जोतने दो अगर उसमें हिम्मत है तो! | Entry #30304 — Discuss 0 — Variant: Indianindihin
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Entry | 1.83 | 1.83 (6 ratings) | 1.83 (6 ratings) |
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अपने हिस्से का मंदा काम | Mistranslations Dirty work? The word choice doesn't convey 'harsh work'. | Sanjeev Dhadwal No agrees/disagrees | |
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