- “दुहत्था होने के लिए तो मैं अपना दाहिना हाथ कुर्बान कर दूं|”
- “राह में जब कांटा मिले, तो उठाओ और बिस्मिल्लाह करो|”
- “आंखें खुली रखो तो तुम बहुत कुछ देख सकते हो|”
- “अब वहां कोई नहीं जाता| वहां बहुत भीड़-भड़क्का है|”
- “सोचते समय मैं एक चीज़ पर ध्यान नहीं दे सकता|”
- “कल अब वह नहीं रहा जैसा पहले हुआ करता था|”
“मैं अपने बच्चों को कोई एनसायक्लोपीडिया खरीद कर नहीं देने वाला| उन्हें भी स्कूल तक चल कर जाने दो जैसे मैं जाता था|”
- “हम भटक गए हैं, लेकिन हम अच्छी प्रगति कर रहे हैं|”
- “मेरे बारे में वे जितने झूठ बोलते हैं उनमें से आधे सच नहीं होते|”
- “एक रुपये की कीमत धेलाभर भी नहीं रह गयी है|”
- “यह तो फिर से देजा व्यू वाली बात हो गयी|”
- “बात तब तक खत्म नहीं होती जब तक कि बात खत्म नहीं हो जाती|”
- श्रीमती लिंडज़े: “तुम तो बहुत कूल लग रहे हो|” योगी बर्रा: “शुक्रिया, आप भी कुछ कम ठंडी नहीं दिख रहीं हैं|”
- “अगर दुनिया हर मायने में सही और आदर्श होती, तो इसे दुनिया क्यों कहते|”